Copy Tracking Code dekho ! chankya: ek vichar FREE Social Promotion

Tuesday 20 December 2011

ek vichar




  • मै  जानता हूँ कि गुत्थी कैसे सुलझेगी ? लेकिन मै सुलझा नहीं सकता, शायद यही संसार है | इससे अच्छी परिभाषा संसार की क्या होगी ? "संसार" लिखा है ये न तो तिरस्कार के लिए लिखा है और न व्यंग के लिए | वरन यह वास्तविकता-सी लगती है | क्योंकि मै सोचता हूँ अगर मै अकेला हूँ, तो कुछ भी करना और न करना मूल्यांकन का विषय ही नहीं है | क्योंकि जो भी हूँ, मै हूँ | लेकिन जहाँ मेरे अतिरिक्त, अन्य भी अस्तित्व रखता है |

वहाँ मै किसी मात्रा मे सही या गलत हो सकता हूँ परन्तु पूरी मात्रा मे सही या गलत नहीं हो सकता | इसलिए दो ही सम्भावनाये है पूरी तरह से सही या गलत होने के लिए | या तो मै सब हो जाऊ या मै ही मै रह जाऊ | अथार्त " अहम्  ब्रह्मास्मि " या "एक तू ही निरंकार" | जो भी पीड़ा है, उसे विश्लेष्ण करके, नाम कोई भी दे दूं लेकिन मूल यही है  कि न तो "मै ही मै बचा है" और "न तू ही तू है"|



UA-61452005-1

















gamestop, pandora, limewire

No comments:

Post a Comment

Thanks for your valuable comment.