इश्क करना वैसे तो शायद जन्मजात आदत ही है | और वक़्त आने पर यह हर युवा के अन्दर पैदा हो जाती है | लेकिन शायद अपने अन्दर यह जन्मजात आदत न होने के कारन कैसे - कैसे दवाब मैंने झेले है, इनको ही लिख रहा हूँ |
मै जब भी किसी आशिक की इश्क की दास्ताँ सुनता हूँ | और उनके ऊपर लडकियों द्वारा जान देने की बात सुनता | तो मन मे मीठे - मीठे सपने अपने - आप ही आने लगते | लकड़ी द्वारा प्यार का इज़हार मुस्कराहट से होता है , यह अधिकतर आशिकों का मत था | इस सदवाक्य को सुनकर मेरा दिल बल्लियों उछलने लगता | क्योकि पता नहीं कितनी लड़कियां रास्ता चलते, अपने घर के दरवाजो से, अपनी छतो से, गाड़ी मे सफ़र करते, अपनी माताजी के बगल से, अपनी अमूल्य मुस्कराहट निछावर करती रहती है | पर , जिस समय वो मुस्कराती, उस समय मेरा वेबकूफ मन चिल्लाकर कहता है," कि बेटा, बेबकूफ समझकर मुस्कराए जा रही है |" उस समय , इश्क की पहली सीढ़ी पर ही हम मात खा जाते |
लेकिन बाद मे, हम आशिकों की सांगत मे, आकर मन को समझा ही लेते कि " सुन्दरियाँ वास्तव मे, हमारे इश्क मे गिरफ्तार है और हमें भी कुछ सद्प्रयास करने चाहिए |" यह बात मन मे आते ही, हम भी दृढ संकल्प कर लेते कि हम इश्क भी करेंगे तो इससे ही, और शादी भी | शादी क्यों ? क्योकि यह मेरा मत है कि कि जब हमारा किसी से इश्क होता है तो इसका तात्पर्य है कि हमारा उससे पुर्वजनम का सम्बन्ध है (क्योंकि मैं पुर्वजनम को मानता हूँ ) और किसी लड़की से इश्क का मतलब " दोनों लड़की और लड़के का तन, मन और धन से मिलन | और हमारे समाज मे तन, मन और धन से मिलन पति - पत्नी के बीच ही संभव है | इस तरह का दृढ संकल्प करके हम, उस लड़की के घर चक्कर लगाना शुरू कर देते | अगर लड़की मिल जाती है , तो हम और वो मुस्कराकर, आँखों ही आँखों मे बातें कर लेते | लेकिन जब वो अपनी माताजी, पिताजी, अथवा भाईजी के साथ होती, तो अपने मन ही मन मे दुहराने लगते, " अरे , अगर किसी ने पूछा, " कि यहाँ क्यों चक्कर लगा रहा है , रे |" तो आँखे निकालकर और कड़क आवाज़ मे कह देंगे , " कि आपके बाप की सड़क तो नहीं है , हम अपने दोस्तों से मिलने जा रहे हैं |" इतना सोचते ही हमारी सांस धौंकनी की तरह चलने लगती और उस गली का कोई भी आदमी हमारी तरफ देखने लगता | तो मन ही मन सोचने लगते, " कि, बेटा आज तो ये ताड़ गया, आज तो जरूर मारेगा | " बस हमारे कदम अपने ही आप तेज पड़ने लगते |
और इस तरह, हमारा इश्क पता नहीं, कितनी बार शुरू हुआ और कितनी बार दम तोड़ गया | अगर किसी के पास, दिल के अन्दर तक देख लेने वाली दूरबीन हो, तो वो हमारे दिल के अन्दर हजारों ताजमहल देख सकता है | जिसकी हर कब्र मैं दफ़न होने वाला शाहजहाँ तो एक ही है, लेकिन मुमताज़ हर कब्र मे अलग |UA-61452005-1
मै जब भी किसी आशिक की इश्क की दास्ताँ सुनता हूँ | और उनके ऊपर लडकियों द्वारा जान देने की बात सुनता | तो मन मे मीठे - मीठे सपने अपने - आप ही आने लगते | लकड़ी द्वारा प्यार का इज़हार मुस्कराहट से होता है , यह अधिकतर आशिकों का मत था | इस सदवाक्य को सुनकर मेरा दिल बल्लियों उछलने लगता | क्योकि पता नहीं कितनी लड़कियां रास्ता चलते, अपने घर के दरवाजो से, अपनी छतो से, गाड़ी मे सफ़र करते, अपनी माताजी के बगल से, अपनी अमूल्य मुस्कराहट निछावर करती रहती है | पर , जिस समय वो मुस्कराती, उस समय मेरा वेबकूफ मन चिल्लाकर कहता है," कि बेटा, बेबकूफ समझकर मुस्कराए जा रही है |" उस समय , इश्क की पहली सीढ़ी पर ही हम मात खा जाते |
लेकिन बाद मे, हम आशिकों की सांगत मे, आकर मन को समझा ही लेते कि " सुन्दरियाँ वास्तव मे, हमारे इश्क मे गिरफ्तार है और हमें भी कुछ सद्प्रयास करने चाहिए |" यह बात मन मे आते ही, हम भी दृढ संकल्प कर लेते कि हम इश्क भी करेंगे तो इससे ही, और शादी भी | शादी क्यों ? क्योकि यह मेरा मत है कि कि जब हमारा किसी से इश्क होता है तो इसका तात्पर्य है कि हमारा उससे पुर्वजनम का सम्बन्ध है (क्योंकि मैं पुर्वजनम को मानता हूँ ) और किसी लड़की से इश्क का मतलब " दोनों लड़की और लड़के का तन, मन और धन से मिलन | और हमारे समाज मे तन, मन और धन से मिलन पति - पत्नी के बीच ही संभव है | इस तरह का दृढ संकल्प करके हम, उस लड़की के घर चक्कर लगाना शुरू कर देते | अगर लड़की मिल जाती है , तो हम और वो मुस्कराकर, आँखों ही आँखों मे बातें कर लेते | लेकिन जब वो अपनी माताजी, पिताजी, अथवा भाईजी के साथ होती, तो अपने मन ही मन मे दुहराने लगते, " अरे , अगर किसी ने पूछा, " कि यहाँ क्यों चक्कर लगा रहा है , रे |" तो आँखे निकालकर और कड़क आवाज़ मे कह देंगे , " कि आपके बाप की सड़क तो नहीं है , हम अपने दोस्तों से मिलने जा रहे हैं |" इतना सोचते ही हमारी सांस धौंकनी की तरह चलने लगती और उस गली का कोई भी आदमी हमारी तरफ देखने लगता | तो मन ही मन सोचने लगते, " कि, बेटा आज तो ये ताड़ गया, आज तो जरूर मारेगा | " बस हमारे कदम अपने ही आप तेज पड़ने लगते |
और इस तरह, हमारा इश्क पता नहीं, कितनी बार शुरू हुआ और कितनी बार दम तोड़ गया | अगर किसी के पास, दिल के अन्दर तक देख लेने वाली दूरबीन हो, तो वो हमारे दिल के अन्दर हजारों ताजमहल देख सकता है | जिसकी हर कब्र मैं दफ़न होने वाला शाहजहाँ तो एक ही है, लेकिन मुमताज़ हर कब्र मे अलग |UA-61452005-1
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